मेरी बैस्टी मेरी डायरी# डायरी लेखन प्रतियोगिता -17-Dec-2021
27 दिसम्बर
शाम के साढ़े चार...
मई की यादों के साथ एक बार फिर आ गई तेरे पास बैस्टी...अभी मई की अपनी डायरी पढ़ी...
उन यादों से सिहरन सी होने लगी...
मौत को चकमा दे आई थी मैं सखी...
आइसोलेशन के वो पन्द्रह दिन..
कैसे बिताए थे अपनी सांसों को गिन...
वो थर्मामीटर वो पल्स ऑक्सीमीटर....
वो दवाईयां वो काढ़ा..
वो दिन में कई बार भाप लेना..
वो अकेलापन...
वो हर पल मौत को करीब से देखना...
घर वालों का मेरे लिए चिंतित होना....
वो मुझसे दूर रहने का दर्द महसूस करती थी...
चाह कर भी अपनों को न छू पाती थी...
समय बहुत था...
काम कुछ न था...
पहली बार जिंदगी में इस तरह खालीपन था...
पर भावनाऐं तो डरी सहमी न जाने कहां छुप गई थी...
बस तुझ संग कुछ बातें किया करती थी मैं बैस्टी ओ मेरी डायरी...
तूने ही तो संभाला था मुझे उन दिनों भी...
साथ में सह लेखक साथियों का साथ और मेरा परिवार...
हिम्मत बंधा रहा था...
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मई महीने की सात तारिख कभी भूल नहीं पाऊंगी.... वैसे कुछ पुरानी यादें भी जुड़ी हैं इस तारिख से 7 मई 1990 में भाई की शादी हुई थी, उस समय मैं नाईंथ क्लास में थी।
मेरे जेठ जी की छोटी बिटिया का जन्मदिन भी 7 मई को ही होता है।इस साल भी शाम को उसका जन्मदिन सेलिब्रेट करने के बाद पहले देवर जी का कोरोना टैस्ट किया बड़ी बिटिया ने जो कि एक डॉक्टर है, घर पर ही टैस्टिंग किड मंगवाया था। वैसे मेरी तबियत तो अप्रैल की शुरुआत से ही खराब चल रही थी,पहले दांत दर्द फिर वैक्सीन का फर्स्ट डोज़ लेने के बाद लूज़ मोशन वोमिटिंग और फीवर , सर्दी खांसी तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मुझे लगा सीज़नल है, ठीक हो जाएगा ,पहले घर पर भी किसी ने सीरियसली लिया ही नहीं। उस शाम जब सिर दर्द से परेशान थी, तो जेठानी जी ने कहा हींग लगाने से आराम मिलेगा... हींग की डिब्बी खोली,स्मैल आई ही नहीं रही थी ..जब मैंने भाभी से कहा तो वो बोली इस बार की हींग ऐसी ही है कोई गंध नहीं.... डर तो तभी लग गया था , कुछ दिन पहले तक तो इसी हींग में गंध थी फिर अचानक..। पहले देवरजी की रिपोर्ट पोजिटिव आई तो सब घबरा गए , फिर देवरानी की रिपोर्ट नेगेटिव और फिर मेरी भी पहले बिटिया ने कहा नैगेटिव पर दस मिनट बाद फिर चैक किया... तो पोजिटिव। फिर क्या था अगले दिन सैंपल लेकर रिम्स भेजा गया , जिसमें हम तीनों की रिपोर्ट पोजिटिव निकली।
बड़ा घर और बड़ा परिवार... बच्चों ने दिन रात एक कर दिया हम तीनों के लिए और साथ में घर के सारे काम बच्चों के कंधों पर आ गए।
देवरजी की हालत बहुत ही गंभीर हो गई थी, चार दिन घर में आइसोलेशन के बाद उन्हें रिम्स में एडमिट करवाना पड़ा।
एक भयावह सपने सा रहा वो मई का महीना मेरे लिए।
मई के अंत तक रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी, और देवरजी देवरानी दोनों हॉस्पिटल से आ गए थे।
इन्होंने और परिवार के सभी लोगों ने मेरा बहुत ध्यान रखा, मेरी हर जरूरत की चीज समय पर मिल जाती। इनका प्यार ही बचा लाया मौत के मुंह से। उस महीने कई अपनों को खोया।
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कविता झा'काव्या कवि'
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